बामसेफ का निर्माण पिछड़े वर्गों (अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति, अन्य पिछड़े वर्ग) एवं अल्पसंख्यक समुदायों के शिक्षित कर्मचारियों द्वारा उस दलित शोषित समाज को जिसमें वे पैदा हुए हैं दासता से मुक्ति दिलाने के लिए किया गया है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए संगठन की संरचना एवं यंत्र रचना को भी परिकल्पित और निर्मित किया गया है।
इस लक्ष्य की ओर बामसेफ शिक्षित कर्मचारियों का एवं उस दलित, शोषित समाज के लिए जिसमें वे पैदा हुए हैं एक प्रथम प्रयास जान पड़ता है। बामसेफ हमारी तीव्र अभिलाषा, श्रमसाध्य विवेचन, परखे हुए प्रयोग एवं उत्सर्जित धारा की उपज है| प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से बामसेफ लगभग एक दशाब्दी के लम्बे प्रयास का परिणाम है। जिसका पूरा और व्यवहार उल्लेख पुस्तक के रूप में बहुत ही शीघ्र आप के सामने आ जाएगा। पुस्तक लगभग 25 पृष्ठों की होगी। विगत वर्ष के दौरान ही मैं पुस्तक को निकालना आवश्यक समझ रहा था परन्तु व्यापक पैमाने पर क्षेत्र-कार्य और संगठनात्मक प्रयासों में व्यस्त रहने के कारण मैं उसे पूरा नहीं कर सका अन्यथा ऐसी पुस्तक निकालने का परिपक्व और उपयुक्त अवसर 14 अक्टूबर 1981 को चंडीगढ़ में आयोजित बामसेफ का त्रुतिय राष्ट्रिय अधिवेशन था..
मैने उक्त क्षति को पूरा करने के लिये उस विस्तृत उल्लेख का लि आप पूरी पुस्तक के रूप में देखेंगे यह संक्षिप्त रूप शीघ्रलेखित कराया है। आशा है कि इससे विस्तृत रूप में नही तो ऐसे अवसर पर जब पूरे भारत के प्रतिनिधि गण चण्डीगढ़ में एकत्र हो रहे हैं, बामसेफ की संक्षिप्त वास्तविक जानकारी अवश्य प्राप्त होगी।
14 अक्टूबर, 1981
चण्डीगढ़
- साहब कांशी राम
- साहब कांशी राम
पुस्तक संकलन - अनंतराव अकेला (+919319294963) (साहब कांशीराम के ऐतिहासिक भाषण और यह किताब मंगवाने के लिए संपर्क करे)
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