March 31, 2017

हमे अपना संघर्ष खुद ही करना होगा..



यदि समता के आधार पर हिन्दू समाज की पुनर्रचना करनी हो तो जाती-व्यवस्था का निर्मूलन आवश्यक है, जिसे कहा ही नहीं जाता.. छुआछुत की जड़े जाति-व्यवस्था में है.. जाति-व्यवस्था के विरोध में ब्राह्मण बगावत करेगा इसकी सम्भावना नही है क्योंकि वह व्यवस्था ब्राह्मणों को विशेष सुविधाए प्रदान करती है तथा स्मृतियों पर आधारित हिन्दू धर्म की उंच-नीच क्रमबद्धता में वर्तमान सर्वोच्चता प्राप्ति के विशेष अधिकार का वह स्वेच्छा से त्याग नहीं करेगा.. उनसे ऐसी अपेक्षा किया जाना व्यर्थ है, उन्होंने जापान में जिस प्रकार अपने विशेषाधिकार त्याग दिए वैसे ही वे भी त्याग देंगे.. इस प्रकार हम गैर ब्राह्मणों पर भी विश्वास नही कर सकते तथा नही कह शकते की वे हमारे लिए संघर्ष करे, इनमे से बहुत से ऐसे है की वे जाति-व्यवस्था के आसक्त है तथा इस सम्बन्ध में वे ब्राह्मणों के हाथ में औजार जैसा है तथा इनमे से जो ब्राह्मणों के वर्चस्व का विरोध करते है वे शोषित वर्ग के उत्थान के बजाए ब्राह्मणों के सामाजिक स्तर को निम्नस्तर पर लाने में रूचि रखते है.. इन्हें भी ऐसा वर्ग चाहिए जिसे वे हेय समझे और समाधान मानते रहे की समाज में हम बहुत निचले स्तर पर नही है.. इसका मतलब यही हुआ की, हमे अपना संघर्ष स्वयं ही करना चाहिए..

(महाड सत्याग्रह के दिबस पर, बाबासाहब डॉ आम्बेडकर द्वारा दिए गए भाषण का अंश)

March 29, 2017

हमारे आन्दोलन का मूल उदेश्य संगठन, मजबूती, समता, स्वतंत्रता और भाईचारा है..



हमारा आन्दोलन केवल अपनी कमजोरियों को दूर करने के लिए नही बल्कि सामाजिक क्रांति लाने के लिए है.. जिससे नागरिक अधिकारों के सम्बन्ध में मानव मानव में किसी प्रकार का भेदभाव किए बिना मानव निर्मित जातियों के अवरोधों को नष्ट कर अपना सर्वोत्तम विकास करने का सबको अवसर प्रदान करना है.. 

यदि हम समस्त हिन्दुओ को एक जाती में संगठित करने में सफल हुए तो यह साबित होगा की हमने अपने राष्ट्र और खासकर हिन्दू समाज की बहुत बड़ी सेवा की है.. वर्तमान जाती व्यवस्था अपने भेदभाव तथा अन्य दुश्परिनामो के कारण हमारे सामाजिक एवं राष्ट्रिय कमजोरी का बहोत बड़ा स्त्रोत है.. हमारे आन्दोलन का मूल उदेश्य संगठन, मजबूती, समता, स्वतंत्रता और भाईचारा है.. हम अंधकार युग में रचित शास्त्र और स्मृतियों की प्रतिबध्धता एवम उनसे नियंत्रित होना अस्वीकार करते हुए न्याय एवम मानवता में विश्वास रखते है.. 

(बाबासाहब आम्बेडकर द्वारा, 25 दिसम्बर 1927 को दिए गए भाषण का अंश..)

March 26, 2017

How to handle the cast???



अगर हम "जाती" को खत्म करना चाहते है, तो पहले हमे "जाती" को इस्तेमाल करना सीखना होगा..

If we want to ANNIHILATE the "CASTE", first we must learn how to handle the "CASTE".

--- बहुजन नायक मान्यवर साहब कांशीराम

March 21, 2017

परिवर्तन का समर्थन जरुरी है..


समाज हमेशा सुधार और परिवर्तन का विरोधी होता है.. जब तक उसे मजबूर ना किया जाये, वह परिवर्तित नहीं होता और वह भी धीमी गति से.. जब परिवर्तन का आरम्भ होता है तो नई और पुरानी विचारधारा में हमेशा संघर्ष होता है, और अगर नए परिवर्तन का समर्थन नहीं किया गया तो, वह हमेशा नष्टवट होने के खतरे में होता है..


--- बाबासाहब डॉ भीमराव आम्बेडकर

March 19, 2017

Pay Back To The Society


“आपको जो नौकरी मिली है वह प्रतिनिधित्व के कारण मिली है और प्रतिनिधित्व पुरखों द्वारा चलाये आंदोलन का प्रोडक्ट है.. अर्थात समाज का आपके ऊपर ऋण है और इसलिए आपका सामाजिक उत्तरदायित्व है कि आप अपने समाज को अपना मनी, माइंड, टाइम शेअर करें और समाज के ऋण से उऋण हो.."

--- मान्यवर साहब कांशीराम

राजनीती के सन्दर्भ में मान्यवर साहब कांशीराम के विचार...


"जिस समाज की गैर-राजनितिक जड़े मजबूत नही होती, वो समाज राजनीती में कभी सफल नही हो सकता.. "

-- बहुजन नायक मान्यवर साहब कांशीराम

March 14, 2017

हमे कभी न बिकने वाला समाज बनाना है..


"अगर हमें कभी न बिकने वाला नेता चाहिए, तो पहले हमें कभी न बिकने वाला समाज बनाना होगा.. क्योंकि लोगो को वैसा ही नेता मिलता है जैसे लोग होते है.."

मान्यवर साहब कांशीराम के ८३ वे जन्मदिवस पर समस्त बहुजन समाज को मंगल कामनाए..