समाज हमेशा सुधार और परिवर्तन का विरोधी होता है.. जब तक उसे मजबूर ना किया जाये, वह परिवर्तित नहीं होता और वह भी धीमी गति से.. जब परिवर्तन का आरम्भ होता है तो नई और पुरानी विचारधारा में हमेशा संघर्ष होता है, और अगर नए परिवर्तन का समर्थन नहीं किया गया तो, वह हमेशा नष्टवट होने के खतरे में होता है..
--- बाबासाहब डॉ भीमराव आम्बेडकर
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