October 21, 2018

माँगनेवाले समाज को देनेवाला समाज बनाना है.. - साहब कांशी राम

साहब कांशी राम की एक बहोत ही प्रसिद्द तस्वीर है, जिसमे वो हाथ में इंक पैन लेकर लोगो को संबोधित कर रहे है.. उस तस्वीर के पीछे का सन्देश भी जानना बहोत जरूरी है.. वह पैन को दोनों हाथ से सीधी खडी लाइन में पकड़कर लोगो से पूछते थे की, यह जो पैन है वह किस तरह से काम करती? लोग आसानी से कहते की, पैन श्याही और उसकी लीड से चलती है.. फिर दोबारा वह पूछते की, खासतौर पर उसमे क्या दीखता? तब लोग कहते की, उसमे तो उसका डिज़ाइन वाला ढक्कन ही खास दिख रहा है!! 
तब साहब कांशी राम कहते की, इसी तरह भारत की समाज व्यवस्था में भी ऐसा ही है.. जिसमे देश की 85% बहुजन जनता ही सही अर्थ में काम कर रही है इसलिए असली ताकत तो वो लोग है.. जबकि 15% जनता तो इस पैन के ढक्कन की माफक है जो सिर्फ दिखावे के लिए ही है.. अगर ढक्कन ना हो, फिर भी पैन का काम रुकेगा नही; कुछ भी काम किये बिना यह ढक्कन पुरे पैन पर अपना प्रभुत्व दिखा रही है.. भारत देश में भी इसी प्रकार, पुरे देश के संसाधनों पे 15% लोग अपना कब्ज़ा जमाकर बैठ गए है, और असल में जो मेहनतकश समाज है वह अपमानित हो रहा है.. 

साहब कांशी राम मानते थी की, इस खड़ी लाइन में रही पैन को टेढ़ा करने पर जो समानता स्थापित होती है जहां पैन की बोडी, लीड और ढक्कन हरेक को एक समान मान मिलता है, वेसी ही व्यवस्था भारतीय समाज में बनाना बहुजन समाज का एकमात्र लक्ष्य होना चाहिए.. भारत देश की अनुसुचित जाति  (Schedule Catse)- जनजाति (Schedule Tribes), अन्य पिछड़ी जाति (Other Backward Classes) व् अल्पसंख्यक (Minorities) लोगो को मिलके जो बहुजन समाज बनता है, उस जनता को अपनी ताकत का कोई अनुमान नही है और यही वह कारन है जिसकी वजह से वह पछात बने रहे है.. अगर मानवीय सभ्यता को स्थापित करना है तो उसके लिए समस्त बहुजन समाज को प्रयत्न करना पड़ेगा.. एक दो लोगो के प्रयत्नों से कुछ खास प्राप्त नही होगा..

सन्दर्भ : मान्यवर (लेखक : विशाल सोनारा, अनुवादक : कुंदन मकवाना)

Youtube Video:

October 20, 2018

बहुजन नायक मान्यवर साहब कांशी राम के विचार

बुद्ध, फुले, शाहू, पेरियार, आम्बेडकर के मिशन को एक नई पहचान व् दिशा देने वाले बहुजनो के मसीहा मान्यवर साहब कांशी राम के समाज, धर्म व् राजनीती से संबधित विचार...

गुरु गोविंदसिंह ने कहा है की, धरम के बिना राज नही और राज के बिना धरम नही, अर्थात धरम के बिना राज और राज के बिना धरम आगे नही बढ़ शकता। इसलिए मुझे भी पीछे मुड़कर सोचना पड़ा कि, जब सम्राट अशोक बौद्ध बना, तब बौद्ध धम्म बड़े पैमाने पर फला-फुला, जब सम्राट कनिष्क बौद्ध बना तो बौद्ध धम्म बड़े पैमाने पर फला-फुला, जब सम्राट हर्षवर्धन बौद्ध बना तो बौद्ध धम्म बड़े पैमाने पर फला-फुला.. तो इसलिए बौद्ध धम्म को फलना फूलना है, तो जो लोग बौद्ध धम्म को फैलाने वाले लोग है, उन लोगो को हुक्मरान बनना जरूरी है। अगर वो हुक्मरान बनते है, तो बौद्ध धम्म भी फलता-फूलता है। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra 

मुझे ऐसा लगा कि, अगर जिंदगी में हमे किसी दिशा में आगे बढ़ना है, तो शुद्र और अतिशूद्र लोगो को हुक्मरान बनना जरूरी है। इन लोगो की हुकूमत होगी तो ये लोग अपने हिसाब से अपने कारोबार को चलाने लगेंगे, तो तब ही इनकी बात आगे बढ़ सकती है। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

आज हमारे महापुरुष जिंदा नही है, हम लोग जिंदा है, इसलिए हम लोगो को उनके एजेंडा को लागू करना है और लागू करने के लिए उस एजेंडा को पहले अच्छी तरह समझना है। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

बाबासाहब की मूवमेंट एक शरीर है, जिसमे सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक ये जरूरी अंग है। जिसमे एक को भी छोड़ दिया जाए तो शरीर खराब हो जाएगा और बीमारी बढ़ जाएगी। इसलिए हमें सारी मूवमेंट को एक साथ आगे बढ़ाना है। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

जब आदमी ईमानदारी से काम करता है तो उसके परिणाम भी बेहतर आते है। इसलिए आप लोगो को भी मेरी राय है कि आप लोग भी अपना समय व्यर्थ न गवाए और काम करे। जब तुम ईमानदारी से काम करोगे तो कामयाबी तुम्हे सलाम करेगी। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra 

महामना ज्योतिबा फुले, छत्रपति शाहूजी महाराज और बाबासाहब के बारे में मैं हमेशा सोचता रहता हूँ कि, सबसे बड़ा काम जो इन महापुरुषों ने अपनी जिंदगी में किया है, वो काम है, छुआछूत का अंत करने का, फिर उसके बाद अनपढ़ लोगो को पढ़ने-लिखने का मौका.. इसलिए खासकर जो लोग हजारो सालो तक छुआछूत का शिकार रहे उन लोगो को इन तीन चीजो के बारे में जानकारी रखना जरूरी है - छुआछूत का अंत, पढ़ने लिखने की शरुवात, पढ़ने लिखने के बाद आरक्षण। ये तीन चीजे हमारे बुजुर्गो के बारे मे, इन तीनो महापुरुषों के बारे में, खासकर अछूत कहे जाने वाले लोगो को ऋणी रहना चाहिए। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra 

मुझे ऐसा लगा कि, अगर जिंदगी में हमे किसी दिशा में आगे बढ़ना है, तो शुद्र और अतिशूद्र लोगो को हुक्मरान बनना जरूरी है। इन लोगो की हुकूमत होगी तो ये लोग अपने हिसाब से अपने कारोबार को चलाने लगेंगे, तो तब ही इनकी बात आगे बढ़ सकती है। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

दावे के साथ कहता हूं कि होउ सकत जरूरत चंद ईमानदार लोगो की फक्त है!! - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

पत्रकार : इधर दलित राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की माँग बहुत तेजी से उठ रही है। इस बारे में आपकी क्या राय है ? साहब कांशी राम : देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी यदि दलित हो गए तो समाज का दबा-कुचला वर्ग न्याय की ओर किस तरफ देखेगा ? फिर तो देश का बंटाधार हो जायेगा। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

पत्रकार: क्या आप अपने बहुजन समाज को हिन्दू समाज की मुख्यधारा से अलग मानते हैं ? साहब कांशी राम: बहुजन समाज ही असली मुख्यधारा है, हिन्दू समाज नहीं। क्योंकि बहुजन समाज इस देश का बहुसंख्यक समाज है। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

यह ठीक है कि हमारे पास धन-दौलत की कमी है, मगर हमारे पास मुक्कों की कमी नहीं है। अगर हम 85 प्रतिशत मुक्कों को इकठ्ठा करके दुश्मन की नाक पर मार दें तो दुश्मन गुण्डागर्दी अत्याचार के हथकण्डे अपनाने की कोशिश नहीं करेगा। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

पत्रकार: दलितों के हितों की रक्षा के लिए कहीं "दलितिस्तान" जैसा नारा देने की ज़रूरत तो नहीं पड़ेगी ? नहीं, बहुजन का नारा है भारत देश हमारा है, वैसे भी हम केवल दलितों की ही बात नहीं करते, हम तो बहुजन की बात करते हैं, मैं दलित शब्द का प्रयोग भी नहीं करता मैं बहुजन की बात करता हूँ। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

राजनीति सत्ता के लिए होती है और सत्ता बिना संघर्ष के नहीं मिलती। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

सिर्फ कोशिश करना ही ज़रूरी नहीं बल्कि उसमें कामयाबी भी मिलनी चाहिये। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

हम लोग किसी के साथ बेइन्साफी करने या किसी का हक़ मारने के लिए नहीं बल्कि अपने साथ जो बेइन्साफी हो रही है और जो हमारा हक़ मारा जा रहा है, उसे संवैधानिक तरीके से प्राप्त करने के लिए इकठ्ठे हो रहे हैं। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

आरक्षण विरोधी लहर का मुकाबला करने के लिये आरक्षण समर्थक लहर बनानी होगी। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

धोखेबाज तो धोखा छिपाने की कोशिश करेंगे लेकिन धोखे के शिकार, धोखा खाये हुए लोग धोखों को याद रखेंगे। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

आरक्षण कोई रोजी रोटी का मसला नही है, यह देश मे शासन प्रशासन में भागीदारी का मसला है। यदि लोकशाही में लोगो का बराबर हिस्सा नही होता है तो वह प्रजातंत्र सही ढंग से नही चल पाता है। मुल्क की बात आगे नही बढ़ती है, वह पिछड़ जाता है। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

जब हम आम आदमी की लड़ाई लड़ रहे हैं, तो उसी की भाषा का इस्तेमाल करना फायदेमंद होगा। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

हमारे सामने सवाल यह नहीं कि हम क्या कर सकते हैं लेकिन सवाल यह है कि हम क्यों नहीं कर सकते ? - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

आज बहुत से नेताओं का यह रवैया बना गया है कि समाज को तो न बना सके खुद अपने को ही बना लें। इससे हमें नाराज़ नहीं होना चाहिए क्योंकि कुछ लोग जो स्वार्थ में लगे हैं उन्हें लगे ही रहना है। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

बाबासाहब का मिशन बिना संघर्ष के पूरा न होगा, इसलिए साथियों हमें संघर्ष के लिए मैदान में उतरना होगा। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

चुनाव लड़ना इतना ज़रूरी नहीं है जितना की "जीतना" ज़रूरी है।- मा. कांशी राम #KanshiRamEra

जिन लोगों ने गलतियाँ की उन्हें हमें बार-बार नहीं दोहराना है, बल्कि उन गलतियों से हमें कुछ सीख लेकर बाबा साहब के मिशन का दुबारा जीवित करके उसे मंज़िल तक पहुँचाना है। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

आज हमारे पास "Material" बहुत है, बस ज़रूरत है उससे बड़ी ईमारत बनाने की। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

अगर हमें बाबासाहब अम्बेडकर की मूवमेंट(आंदोलन) को चलाना है तो हमें इसे "Dynamic"(समय के साथ बदलने वाला) बनाना होगा। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

जब सभी लोग भारत के हर कोने से एक ही दिशा में सोचेंगे तो इस समाज(OBC, SC, ST) का भला एक-न-एक दिन ज़रूर होकर रहेगा। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

जो लोग मिशन के लिए कुछ करने की भावना रखते हैं, उन्हें अपनी इस भावना को मिशन को देना होगा, केवल कहने से कुछ नहीं बनता है, उसके लिए तो त्याग की ज़रूरत पड़ती है। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

हमें अपनी रक्षा खुद करनी चाहिये, सिर्फ जान देकर ही नहीं जान लेकर भी। जब तक जान देते रहेंगे, दूसरा ख़ुशी से लेता रहेगा; लेकिन जब उसको खुद जान देनी पड़ेगी, तब वह कद्र करेगा दूसरों की जान की। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

वो कौम भटकती है अंधेरो में दर-बदर, जिसको भी कांशी राम से रहबर नही मिले.. - #KanshiRamEra

आन्दोलन में "साहित्य" का बहुत बड़ा योगदान होता है। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

आत्मसम्मान का आन्दोलन बिना अपनी सहायता के नहीं चलाया जा सकता है। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

अम्बेडकरवाद को दुबारा जीवित करना तभी किसी काम का है जब यह टिकाऊ रह सके। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

आज ज़रूरत है दस हज़ार लीडरशिप बनाने की। ज़रूरत है उसे सामाजिक शिक्षा देने की, आवश्यकता है उसे मिशनरी भावना से कार्य करने की। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

ज़माने के हिसाब से हमें आगे बढ़ना है; मक्खी पर मक्खी मार कर हम आगे नहीं बढ़ सकते। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

बिना अपना मीडिया बनाये हम अपने लक्ष्य तक नहीं पहुँच पायेंगे। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

जो आंदोलन त्याग और बलिदान से बनाया गया हो, उसे आसानी से दबाया नहीं जा सकता। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

मुझे ऐसा लगा कि अगर हमनें फुले-शाहू-अंबेडकर की विचारधारा को आगे नहीं बढ़ाया तो इस देश का दबा-कुचला इंसान, सदियों तक उठकर खड़ा नहीं हो सकेगा। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

बड़ी मुश्किल से तो हमें मौका मिलता है और इसलिये हमें कोई भी मौका गवाना नहीं चाहिये। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

पुरे देश में मुझे ऐसे लगभग 100 महापुरुष नज़र आते हैं, जिन्होंने मानवतावादी समाज व्यवस्था का निर्माण करने के लिये संघर्ष किया। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

पत्रकार: हिन्दू धर्म के बारे में आपकी क्या राय है ? जिस धर्म में लोगों को छुआछूत करने की शिक्षा मिलती हो, उसे धर्म कहा जा सकता है क्या ? - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

जब तक दबे कुचले लोगों में आपस में भाईचारा नहीं होगा, तब तक उन्हें अपने शोषण और दमन के लिये दूसरों को दोष देने का कोई हक़ नहीं है। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

तमन्ना सच्ची हो तो रास्ते निकल आते हैं, तमन्ना झूठी हो तो बहाने निकल आते हैं । - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

भारत के लिये बहुत बड़ा खतरा बने हुये ये तीन "M"; Money, Media, Mafia. - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

पत्रकार: क्या आप हिंसा का प्रचार कर रहे हैं? कांशी राम: मैं शक्ति का प्रचार कर रहा हूँ हिंसा को रोकने के लिये हमारे पास शक्ति होनी चाहिये। - #KanshiRamEra

मैं तो ज़िन्दगी में सिर्फ़ एक ही काम कर रहा हूँ, अपने नालायक समाज को उसकी नालायकी दूर करके लायक बनाने में लगा हुआ हूँ। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

फुले-शाहू-अम्बेडकर आज हमारे बीच नहीं हैं, इसलिये अब मौक़े के हिसाब से हमें ही विचारधारा को बनाना होगा।- मा. कांशी राम #KanshiRamEra

कहते है की सप्रीम कोर्ट से ऊपर कोई कोर्ट नहीं है, मैं नहीं मानता हूँ; मैं समझता हूँ कि लोगों कि कचहरी इस देश में सबसे बड़ी कचहरी है।- मा. कांशी राम #KanshiRamEra

हम ज़ुल्म करने वालों की नहीं, सहने वालों की निंदा करते हैं, हम ज़ुल्म नहीं सहेंगे और मुक़ाबला करके ज़ालिम का हौसला पस्त करेंगे।- मा. कांशी राम #KanshiRamEra

जंग के मैदान में, चाहे वह बैलट का हो या बुलेट का, हर प्रकार से अपने आप को तैयार करना है।- मा. कांशी राम #KanshiRamEra

जाती एक दो-धारी तलवार है, अगर आपने इसे अपने फायदे के लिये इस्तेमाल करना सिख लिया तो फिर यह इसके बनाने वालों को ही काटना शुरू कर देती है।- मा. कांशी राम #KanshiRamEra

पत्रकार : क्या आप एक आँख के लिये एक आँख की वकालत कर रहे है ? कांशी राम : मैं अपने मानने वालों से कहता हूँ, एक ईंट का जवाब दो पत्थरों से दो। - #KanshiRamEra

परिवर्तन लाने के लिये हमें बहुत कुछ करना है, यह हमारे ऊपर निर्भर करता है की हम कितना कर पाते हैं।- मा. कांशी राम #KanshiRamEra

मैं तो "Daliting"(मांगने वाले) के बहुत खिलाफ हूँ.. I am totally against "Daliting"(begging). - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

हमें राज-पाट तो बैलट से लेना है लेकिन तैयारी बुलेट की भी रखनी है.. - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

मेरा लक्ष्य आरक्षण लेना नहीं, बल्कि आरक्षण देना है.. - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

जिनका स्वाभिमान मरा है वे ही ग़ुलाम है, इसलिये सिर्फ़ स्वाभिमानी लोग ही संघर्ष की परिभाषा समझते है। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

मैंने आंदोलन चलाना बाबासाहब आंबेडकर से सीखा और कैसे नहीं चलाना महाराष्ट्र के उनके मानने वालों से। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

आंदोलन में सबसे अहम भूमिका लीडरशिप(नेतृत्व) की होती है। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

अगर आप किसी आंदोलन को कैसे नहीं चलाया जाना है नहीं जानते है, तो आप उसे कैसे चलाया जाना चाहिए नहीं जान पाएंगे। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

जो विरोध करते हैं कि यह सही नहीं हैं, मौका मिलने पर उन्हें बताना होगा कि सही क्या है। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

इतिहास बनाने वालों को इतिहास से सबक़ लेना बहुत ज़रूरी । - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

अगर हमें इस देश का शासक बन कर बाबासाहब अम्बेडकर का सपना पूरा करना है तो हमें "दलित" (कमज़ोर) नहीं बल्कि बहुजन (बहुसंख्यक) बनना होगा. - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

"दलितपन' एक प्रकार का भीकमँगा-पन बन गया है, जिस प्रकार कोई भिखारी कभी शासक नही बन सकता है, उसी प्रकार बिना अपना 'दलितपन' छोड़े कोई समाज शासक नही बन सकता। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

कांशी राम ने बहुजन का विचार भी फुले की ‘शुद्रादिअतिशूद्र’ (ओबीसी और एससी) की अवधारणा का विस्तार करके ही हासिल किया. कांशी राम के बहुजन का अर्थ देश की तमाम वंचित जातियां और अल्पसंख्यक हैं, जिनका आबादी में 85% का हिस्सा है.. - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

भारतीय राजनीति के पहले शख्स हैं, जिन्होंने दलितों को शासक बनने का न सिर्फ सपना दिखाय़ा, बल्कि उसे साकार करने का रास्ता भी बताया. - #KanshiRamEra

कांशी राम ने पवित्रतावाद की जगह, अवसर को सिद्धांत में तब्दील कर दिया. बीएसपी की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक समय में देश का हर सोलहवां वोटर इस पार्टी के हाथी निशान पर बटन दबा रहा था.. - #KanshiRamEra

जातिविहीन समाज की स्थापना के लिए आप को देश का हुक्मरान बनना होगा.. - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

आसान नही है कांशी राम बनना।। कांशी राम बनने का मतलब है - नींव की ईट बनना।। कांशी राम का मतलब है - पुरी जिंदगी का समर्पण।। #KanshiRamEra

हमारे पूर्वजों ने क्या किया और हमारा भविष्य कैसा होना चाहिए? इन दो बातों को ध्यान में रखकर हमे अपने भविष्य के निर्माण के लिए सोचना चाहिए। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

जिस काम को उत्तरभारत में गुरु रविदास जी ने किया उसी काम को फुले शाहू आम्बेडकर ने महाराष्ट्र में किया!! - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

"हमे हुकुमरान क्यों बनना है..? तब मै उनसे कहेता हु की, हुकुमरान समाज की बहेन-बेटियो की इज्जत नहीं लूटी जाती है.. हुकुमरान समाज पर कभी कोई अत्याचार नहीं कर सकता है.. हुकुमरान समाज के साथ के साथ कोई किसी भी प्रकार का अन्याय नहीं कर सकता.." - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

“हुकुमरान बनो.. हुकुमरान बनो.." हुकुमरान बनोगे तब तुम लेने वाले नहीं देने वाले बनोगे.. तभी तुममे आत्म-सन्मान और स्वाभिमान की भावना पनपेगी.. तभी तुम्हारी समस्याओ का समाधान होगा.. - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

मत सोचो की तुम्हारे पास धन नहीं है, इसलिए तुम हुकुमरान नहीं बन सकते.. तुम जरूर हुकुमरान बन सकते हो.. हुकुमरान बन्ने के लिए धन की नहीं वोट की ताकत चाहिए, जो तुम्हारे पास भारी मात्रा में पड़ी है.. - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

"डीएम कोई राजा नही है बल्कि तुम्हारा कर्मचारी है, इसलिए उसके चपरासी को धक्का देकर डीएम से मिलो, क्योकि मालिक कभी भी कर्मचारी से मिलने के लिए हाथ जोडकर नही खड़ा होता है" - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

मैं देश की व्यवस्था को बदलना चाहता हूँ और इस व्यवस्था में परिवर्तन लाना चाहता हूँ। इसी वजह से मैंने शादी नहीं की और नौकरी छोड़ कर घर ना जाने का फैंसला किया है!!" - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

"मैं दबे कुचले समाज को ज़िल्लत भरी जिंदगी से निकाल कर मान सम्मान वाली ज़िंदगी देकर उसको अपने पैरों पर खड़ा देखना चाहता हूँ।" - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

मेरा यह मानना है की जब तक हम जातीविहीन समाज की स्थापना करने में सफल नहीं हो जाते, तब तक जाती का उपयोग करना होगा अगर ब्राह्मण जाती का उपयोग अपने फायदे के लिए कर सकते है, तो मै उसका इस्तेमाल अपने समाज के हित में क्यों नहीं कर सकता ? - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

जाती जो की अभी हमें अपने लिए एक समस्या नज़र आती है, अगर हम इसका ठीक तरह से उपयोग करना सिख जाए, तो यह हमारे लिए एक फयदेमंद चीज़ बन सकती है.. आज जो हमारी समस्या है, वो कल हमारे लिए अवसर भी बन सकती है, बशर्ते हम उसे ठीक तरह से इस्तेमाल करना सिख जाए.. - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

मै मात्र इस उम्मीद पर खाली नही बैठा रहूँगा की जाती एक दिन अपने आप समाप्त हो जाएगी, बल्कि जब तक भारतीय समाज मे जाती जिंदा है, तब तक मै इसको अपने समाज के हीत मे इस्तेमाल करता रहूँगा.. - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

अगर यह सभी जातिया आपस मे टूटी रहती है तो सभी अल्पजन रहती है, लेकिन अगर यह जातिया आपस मे भाईचारा पैदा करके संघटित हो जाती है, तो यह बहुजन बन जाती है.. इन लोगो की इस देश मे जनसंख्या 85% है और यह अपने आपमे देश की सबसे बड़ी शक्ति है.. - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

आप जाती का अपने हित मे इस्तेमाल करके राजनैतिक सत्ता की मास्टर चाबी को अपने हाथ मे ले सकते है और अपने समाज को आत्मसम्मान तथा तरक्की की ज़िंदगी मुहैया करा सकते है.. - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

माँगने वाले हाथो को (अपनी हथेली को उपर से नीचे की तरफ पलटते हुए) माँगने वाले की बजाए देने वाला बनना होगा, यानी की उन्हे शासन-करता जमात बनना होगा.. - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

अगर आप शाषक नही बन पाते है, तो हमारी समस्याओ का कोई हाल नही हो सकता है, लेकिन दलित अथवा भिकारी रहते हुए आप शाषक कैसे बन सकते है ? इसलिए आपको अपना “दलितपन” छोड़ना होगा, अगर आप शाषक बन जाते है तो आपकी सभी समस्याओ का हाल आप स्वयं कर सकते है.. - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

आप शासक बनकर ही एक जातिविहिन समाज की स्थापना कर सकतेहै क्योकि शासक ही एक नये समाज का निर्माण कर सकता है.. - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

चमचा एक देसी शब्द है, जिसका प्रयोग उस व्यक्ति के लिए होता है जो अपने आप कुछ नहीं कर सकता बल्कि उससे कुछ करवाने के लिए कसी और की जरूरत होती है.. और वः कोई और व्यक्ति, उस चमचे का इस्तेमाल हमेशा अपने निजी फायदे और भलाई के लिए अथवा अपनी जाती की भलाई के लिए करता है, जो चमचे की जाती के लिए हमेशा अहितकारक होता है." - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

नकली कार्यकर्ता का इस्तेमाल, असली व् सच्चे नेतृत्व को कमजोर करने के लिए होता है.. - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

“आपको जो नौकरी मिली है वह प्रतिनिधित्व के कारण मिली है और प्रतिनिधित्व पुरखों द्वारा चलाये आंदोलन का प्रोडक्ट है.. अर्थात समाज का आपके ऊपर ऋण है और इसलिए आपका सामाजिक उत्तरदायित्व है कि आप अपने समाज को अपना मनी, माइंड, टाइम शेअर करें और समाज के ऋण से उऋण हो.." - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

वोट का अधिकार हमे बिकने के लिए नही, बल्कि गुलामी से मुक्ति के लिए मिला है - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

ज्ञानी चमचे / अम्बेडकरवादी चमचे : ये वो लोग है जो बड़ी- बड़ी बाते करते है बाबासाहेब को पढ़ते और क्वोट भी करते है लेकिन आचरण उसके विपरीत करते है। -चमचा युग #KanshiRamEra

महामना फुले के कारण हम लोग पढ़ लिख गए, छत्रपति शाहूजी महाराज के कारण हमे नौकरियों में जाने का मौका मिला और बाबासाहब डॉ आम्बेडकर के कारण जिंदगी के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने का मौका मिला है.. इन तीनो महापुरुषों से प्रेरणा लेकर हम अपने में सुधार पैदा करेंगे और मिशन को आगे बढ़ाएंगे.. - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

जिस समाज की शासन और प्रशासन में भागीदारी नही होती, वह समाज जिंदगी के हर पहलू में पिछड़ जाता है.. क्योंकि, शासन और प्रशासन हुकूमत के दो अंग है.. जिस समाज का हुकूमत में हिस्सा नही होता, वह समाज जिंदगी भर दूसरे पहलू में भी अपना हक हासिल नही कर शकता.. - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

मान्यवर कांशी राम जी कहते थे कि मैं बाबा साहब की केवल एक किताब पढ़ कर पागल हो गया और घर बार छोड़कर बाबा साहेब के मिशन को पूरा करने में लग गया.. पता नहीं यह कैसे अंबेडकरवादी हैं जो बाबा साहेब की इतनी किताबें पढ़कर और उनके विचारों को सुनकर भी टस से मस नहीं होते!! #KanshiRamEra

अवसरवादी लोग है हम, और अवसर का फायदा उठाना अच्छे से जानते है.. - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

महान बनने के लिए #ज्ञान के साथ साथ #नैतिकता और सतत बहुजन समाज के हक्क अधिकारों के लिए #संघर्षशील रहने की तत्परता होनी चाहिए। #KanshiRamEra

आरक्षण कोई रोजी रोटी का मसला नही है, यह देश मे शासन प्रशासन में भागीदारी का मसला है। यदि लोकशाही में लोगो का बराबर हिस्सा नही होता है तो वह प्रजातंत्र सही ढंग से नही चल पाता है। मुल्क की बात आगे नही बढ़ती है, वह पिछड़ जाता है। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

इतिहास का रुख बदलने वाले साहसी लोग कठिनाइयों से कभी भी नही घबराया करते, बल्कि उनका डट कर मुकाबला करकर लक्ष्य प्राप्त करते है। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

चमचे का इस्तेमाल उसकी अपनी ही जाती के खिलाफ किया जाता है जबकि कार्यकर्ता का इस्तेमाल उसकी जाति की भलाई के लिए होता है। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

चमचे का इस्तेमाल सच्चे और खरे नेता को कमजोर करने के लिए होता है, जबकि कार्यकर्ता का इस्तेमाल सच्चे और खरे नेता की मदद के लिए और उसके हाथ मजबूत करने के लिए होता है। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

जब सच्चे और खरे योद्धा होते है, चमचो की मांग तभी होती है। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

अल्पसंख्यको ने बहुसंख्यको में से चमचे बनाकर अल्पमत शासन को मजबूत कर लिया है। इस तरह चमचा युग ने भारत मे लोकतंत्र को निरर्थक कर दिया है। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

भारत मे हमारी मूल और वास्तविक समस्या सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक है। - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी.. - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

बाबासाहब के बच्चो के बगेर इस देश का शासन नही चलने दूंगा.. - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

मैंने सम्राट अशोक के भारत का सपना देखा है.. - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

मै कोई नेता नहीं हु.. में थोडा ज्यादा काम करता हु इसलिए कार्यकर्ता मुझे बड़ा नेता समझते है.. - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

85 पर 15 का शासन मंजूर नही, मंजूर नही.. - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

हमारा लक्ष्य आर्थिक मुक्ति और सामाजिक परिवर्तन का है.. - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

कांशी राम के संकल्पों में था कि जब तक अंबेडकर का सपना पूरा नहीं कर लेता अब वो कभी घर नही आएंगे। पूरी जिन्दगी अपना घर नहीं खरीदेंगे। उनका संकल्प था कि गरीब दलितों का घर ही अब से उनका घर होगा।.. #KanshiRamEra

वो बुद्ध और आम्बेडकर को अपना शकते है, लेकिन वो कांशी राम को नही अपना शकते!! अब हमें समझना होगा कि सिर्फ आम्बेडकरवाद ही नही, बुद्धिज़्म भी कांशी राम साहब के बिना अधूरा है!! #मान्यवर_की_असली_इच्छा #चार_करोड़_की_होगी_दीक्षा #KanshiRamEra

1956 के बाद धराशायी हुई आम्बेडकरी विचारधारा की इमारत, कांशी राम नामक मजबूत ईंट की बुनियाद पर फिर से खड़ी हुई है.. बाबासाहब का दूसरा नाम, कांशी राम कांशी राम.. #KanshiRamEra

अगर आज हम बाबासाहब को जानते है और उनकी जयंती मना रहे है तो उसका श्रेय सिर्फ और सिर्फ एक व्यक्ति को जाता है, और वो है बहुजन नायक मान्यवर साहब कांशी राम.. #KanshiRamEra

कांशी राम नाम का आदमी पैदा न होता तो अम्बेडकर फिर से जिंदा न होते। क्योंकि अम्बेडकर के विचारों और उनकी विचारधारा दफन होने की कगार पर थी, उसे खतम करने की पूरी तैयारी हो चुकी थी। लेकिन, कांशी राम ने अम्बेडकर को फिर से जिंदा कर दिया। आज जो हम जय भीम बोलते है वो मान्यवर साहब के कारण। #KanshiRamEra

जिस समाज की शासन और प्रशासन में भागीदारी नही होती, वह समाज जिंदगी के हर पहलू में पिछड़ जाता है.. क्योंकि, शासन और प्रशासन हुकूमत के दो अंग है.. जिस समाज का हुकूमत में हिस्सा नही होता, वह समाज जिंदगी भर दूसरे पहलू में भी अपना हक हासिल नही कर शकता.. - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

अगर अन्याय अत्याचार को रोकना है, तो हमे देश का हुक्मरान बनना होगा. - मान्यवर साहब कांशी राम #KanshiRamEra

साहब कांशीराम ने, ऐसे ऐसे लोगो को चुनाव लड़वा दिया, और वो जीत गए, जिन्होंने ने विधानसभा देखना तो दूर उसका नाम भी नही सुना था!! कभी जुते की मरम्मत करनेवाला, तो कभी मिट्टी के बर्तन बनानेवाला.. कभी चरवाहा तो कभी साइकिल के पंक्चर बनानेवाला!! #KanshiRamEra

बाबासाहब कहते हैं कि समानता के अभाव के साथ-साथ हमारे समाज में बंधुत्व का भी अभाव है.. वे पूछते हैं कि हजारों जातियों में बंटे लोगों में बंधुत्व का भाव कैसे पैदा हो सकता है? बाबा साहेब कहते हैं कि “जातियां दरअसल राष्ट्रविरोधी हैं” क्योंकि वे सामाजिक जीवन में भेद पैदा करती हैं..

ये कांशी की बिरासत है, इसे हम को बचाना है!
ये सपना भीम बाबा का, हमे घर घर पहुंचाना है!!
दलालो की दलाली, खत्म कर के ही दम लो तुम
मुझे मालूम है हम को, संसद तक भी जाना है!!
#KanshiRamEra

हमारा अंतिम उदेश्य भारत देश पर शासन करना है.. - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

में बहुजन समाज में नेतृत्व की सोच पैदा कर, सच्चे व् स्वाभिमानी लीडर बनाना चाहता हूँ.. - मा. कांशी राम #KanshiRamEra

सोच रहा अपनी हस्ती लोगो को दिखा दु,
लेकिन वक़्त की मांग औकात बना लू,
न फिर खड़ा होगा मनुवादी रास्ते मे,
खुद की पहचान कांशीराम बना लू।
#KanshiramEra

Upper castes ask us why don’t we include them in the party but I tell them that you are leading all the other parties. If you join our party you will prevent change. I am scared to take upper castes in the party. They try to maintain the status quo and always try to seize leadership. This will thwart the process of changing the system. #KanshiRamEra

Till the time there is caste I’ll use it for the benefit of my community. If you have a problem, end caste system. #KanshiRamEra

Where Brahminism is a success, no other ‘ism’ can succeed, we need fundamental, structural, social changes. #KanshiRamEra


For long we’ve been knocking at the doors of the system, asking for justice & getting nothing, it’s time to break down those doors. #KanshiRamEra

We will not stop until we unite the victims of the system and overthrow the spirit of inequality in our country. #KanshiRamEra

I place Gandhi in the category of Shankaracharya & Manu (of Manu Smriti) that he cleverly managed to keep 52% OBCs at the edge. #KanshiRamEra

A community that doesn’t have representation in the political power, that community is dead. #KanshiRamEra

We don’t want social justice, we want social transformation. Social justice depends on the person in the power. Suppose at one time, some good leader comes to power and people get social justice and are happy but when a bad leader comes to power it turns into injustice again. So, we want the whole social transformation. #KanshiRamEra

Till the time we won’t be successful in politics and not able to have power in our hands, the social and economic transformation is not possible. Political power is the key to success. #KanshiRamEra

To get the power, there is a need of mass movement, converting that mass movement into votes, then converting votes into seats, further converting the seats into [power at] states, and lastly converting the [power at] states into [power at] center. This is the mission and aims for us. #KanshiRamEra

To get the power, there is a need of mass movement, converting that mass movement into votes, then converting votes into seats, further converting the seats into states, and lastly converting the states into the center. This is the mission and aims for us’ - #KanshiRamEra

Reservation is not a question of employment it is an issue of representation in the Government Administration of the country. If in a democracy people don't have their equal share then that democracy can not run properly. The country cannot develop and it goes backward. - #KanshiRamEra

I am not interested in DALIT movement. I am interested in POWER movement. #KanshiRamEra

साहब कांशी राम - फूले-शाहू-अम्बेडकर के आंदोलन को दुबारा जीवित करने वाले युगपुरुष

महाराष्ट्र में जातीय भेदभाव के खिलाफ १८४८ में महात्मा जोतीराव फूले द्वारा शुरू की गई सामाजिक क्रांति, जिसे बाद में छत्रपति शाहू जी महाराज और बाबासाहब अम्बेडकर ने १९५६ तक चलाया; १९६५ तक लगभग खत्म हो चुकी थी। इस को दुबारा अपने पैरों पर खड़ा करने का कारनामा साहब कांशी राम ने अपनी सूझ-बुझ और ईमानदारी की बदौलत करके दिखाया।

१५ मार्च १९३४ को अपने नैनिहाल, पिरथीपुर बुंगा साहिब में जन्मे साहब कांशी राम का अपना पैतृक गाँव,खवासपुर,जिला रोपड़ था। उनके पिता का नाम, सरदार हरी सिंह और माता का नाम बिशन कौर था; वो अपने सातों बहनो-भाइयों में सबसे बड़े थे। अपनी शुरुआती पढ़ाई करने के बाद उन्होंने रोपड़ से B.Sc की और पहले देहरादून और फिर बाद में पुणे, महाराष्ट्र में एक वैज्ञानिक के तौर पर नौकरी शुरू की।

यहीं से उनके जीवन में एक बहुत बड़ा मोड़ आया। बाबासाहब अम्बेडकर और महात्मा बुद्ध की जयंती की छुट्टियां को ब्राह्मणवादी अधिकारियों द्वारा ख़ारिज किये जाने के फैसले से विवाद खड़ा हो गया। इसी दौरान उन्हें बाबासाहब अम्बेदकर की किताब "जाती का विनाश" पढ़ने को मिली। खुद उनके मुताबिक उस रात वो सो न सके और कई बार उसे पढ़ा। यहीं से जाती के इस कोढ़ को खत्म करने के लिए उन्होंने अपनी पूरी ज़िन्दगी कुर्बान करने का फैसला किया।

इसी दौरान उन्हें एक और बहुत ही कीमती किताब जो की अमरीका की एक छात्रा "गेल ओमवेट" द्वारा महात्मा जोतीराव फूले पर की जा रही PhD का निबंध था - भी पढ़ने को मिली, जिसका नाम "Cultural Revolt in a Colonial Society" था। इससे उन्हें महात्मा फूले और छत्रपति शाहू जी महाराज द्वारा इसी दिशा में किये जा रहे क्रांतिकारी कामों के बारे में पता चला। दक्षणी भारत में नारायणा गुरु और पेरियार रामास्वामी नायकर द्वारा चलाये जा रहे जाती-विरोधी आंदोलनों के बारे में भी उन्होंने जानकारी हासिल की।

बाबासाहब अम्बेडकर के बाद इस आंदोलन की असफलता के कारणों का पता चला और उसे एक नए क्षेत्र और एक नए ढंग से शुरू किया। १९७० के दशक में वो महाराष्ट्र से दिल्ली आये और १९७८ में समाज की गैर-राजनीतिक जड़ों को मज़बूत करने के लिए पढ़े-लिखे सरकारी कर्मचारियों का संगठन BAMCEF बनाया। उनका मानना था कि जिस समाज की गैर-राजनीतिक जड़े मज़बूत नहीं होती, उनकी राजनीति कभी कामयाब नहीं हो सकती।

१९८१ में DS-4 की नींव रखी, जिसके पीछे मकसद था की अगर सत्ता हासिल करनी है तो हमें संघर्ष करना होगा।

१४ अप्रैल १९८४ को बाबासाहब के जन्मदिन के अवसर पर बहुजन समाज पार्टी की स्थापना की। इसके पीछे उनका निशाना था कि "Those who oppose will be required to propose." जो लोग किसी व्यवस्था का विरोध करते हैं, उन्हें राजनीतिक सत्ता हासिल करके उसका सही विकल्प भी देना होगा।

सिर्फ ९ सालों के छोटे से समय में ही उत्तर प्रदेश में वो १९९३ को मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी के साथ समझौता करके अपने ऐतिहासिक नारे "मिले मुलायम कांशी राम, हवा हो गए जय श्री राम" के ज़ोर पर सत्ता में पहुँचे। अगले दो सालों में वो बसपा की अगवाई में सरकार बनाने में भी कामयाब रहे।

यह काफिला लगातार बढ़ता रहा और उन्होंने ऐलान किया कि २००४ की होने वाली लोक सभा चुनावों में बहुजन समाज को देश का हुक्मरान बनाएंगे। इस समाज की हज़ारों सालों की ग़ुलामी का हमेशा के लिए खात्मा किया जायेगा।

पर अफ़सोस कि इससे ठीक पहले सितंबर २००३ को चंद्रपुर से हैदराबाद जाते समय उनकी सेहत खराब हो गयी और उनका यह सपना अधूरा ही रह गया।

साहब कांशी राम भारत के सामाजिक-राजनीतिक जीवन में एक तूफान बनके आये और देश पर हज़ारों सालों से कब्ज़ा जमा के बैठे ब्राह्मणवादी लोगों की हुकूमत को बुरी तरह झंझोड़ गए। जितने समय तक फूले-शाहू-अम्बेडकर लहर उनके मज़बूत कन्धों पर रही, उत्तर प्रदेश और देश में कोई भी पार्टी बहुमत की सरकार बनाने का सपना भी न ले सकी।

कुछ साल बीमार रहने के बाद ९ अक्टूबर २००६ को फूले-शाहू-अम्बेडकरी आंदोलन का यह सच्चा उत्तराधिकारी सबको अलविदा कह गया।

आये ९ अक्टूबर २०१८ को उनके १२वे परिनिर्वाण दिवस पर उनके अधूरे सपनों को पूरा करने की दिशा में कदम उठाये।

जय साहब कांशी राम, जय भीम

- सतविंदर मदारा

The Great Leader Kanshi Ram Full Movie :




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