May 18, 2019

कांशीराम और बी.एस.पी : दलित आंदोलन का वैचारिक आधार "ब्राह्मण्वाद विरोध" - Part 1


यह बात कांशीराम के समय की है, जब आप पढ़े तब अपनी नजर के सामने 1990 का वक्त रखे। यहां जो वर्णन हुआ है ऐसी सक्रियता शायद आज आपको देखने को ना भी मिले, क्योंकि तब कांशी राम का चाबुक घूमता था।

बहुजन विचारधारा के प्रचार के लिए कांशीराम ने विविध मोर्चे (हिंदी में दस्ते, अंग्रेजी में फ्रंट) खड़े किए। जैसे कि,

  • साइकिल मोर्चा : यह बसपा का सबसे सशक्त फ्रंट है। पक्ष के कार्यकर समूह में नारे उच्चारते हुए निकलते है। उसमें "ब्राह्मण, बनिया, ठाकुर छोड़, बाकी सब है डीएसफोर" का नारा सबसे लोकप्रिय है। जबकि, कांशीराम इस नारे पे ज्यादा भार नही देते और वह कार्यकर्ताओ को भी यह नारा बोलने की मनाई फरमाते थे। साइकिल मोर्चा सभा करने के लिए लोगो को व्यक्तिगत रूप से मिलने पर ज्यादा भर देता है।
  • ज्यादा बड़ी सभाओ के मुकाबले छोटी छोटी सभाए करते है। वह एक दिन में 50-60 किलोमीटर की यात्रा तय करते है। हर रोज मोर्चे के कार्यक्रम तय होते है। रास्ते मे उनके रहने की व खाने की व्यवस्था होती है। इस मोर्चे में केवल पुरुष ही होते है, स्त्रियां नही होती। इसमें 10 से 15 साल के नवयुवक भी भाग लेते है। यह नवयुवक छोटी सभाओ में बहुजन विचारधारा व कांशीराम के मिशन पे भाषण देते है। साइकिल मोर्चा बसपा के सभी मोर्चो में सबसे बड़ा है।
  • भिखारी मोर्चा : यह मोर्चा पार्टी के चुनाव प्रचार के लिए फंड इकट्ठा करता है। उसका नारा है, "एक वोट, एक नोट"। यह मोर्चा बहुजन समाज की बस्ती में पदयात्रा करता है। बीच बीच मे रुककर सभाए करता है। चुनाव में काले धन के उपयोग के सामने लोगो को जागृत करता है और लोको तो आस्वस्थ करता है कि बसपा अपने छोटे छोटे संसाधनों से चुनाव लड़ेगी।
  • जागृति मोर्चा : गीतो और नाटकों द्वारा लोगो मे जागृति लाने का काम यह मोर्चा करता है। बहुजन समाज के महान नायको फुले, शाहु महाराज, पेरियार, आम्बेडकर और कांशीराम के मिशन के बारे में गीतों द्वारा जानकारी देते है। यह मोर्चा दलितों पर हो रहे अत्याचार के बारे में पिक्चर, वीडियो कैसेट दिखाते है। प्रकाश जा की फ़िल्म "दामुल" भी गांव गांव में दिखाई जाती है।
  • भाषण मोर्चा : पक्ष के बुद्धिजीवी लोग इस मोर्चे में काम करते है। वह ग्रेजुएट हुए होते है। यह मोर्चा वर्तमान ब्राह्मणवादी व्यवस्था और सवर्ण उत्पीड़न पर प्रकाश डालते है।
  • पेंटिंग मोर्चा : यह मोर्चा शहरों से लेके गांवो में पक्ष के चुनाव चिह्न और नारे दीवारों पे लिखते है।
  • गुप्तचर मोर्चा : दूसरे पक्षो की गतिविधियां और रणनीतियों की जानकारी रखता है और पक्ष की इसकी माहिती से अवगत कराते है।
  • सुरक्षा दस्ता : पक्ष की कचेरियों व सभाओ में सुरक्षा की कामगिरी निभाते है।
  • जीप मोर्चा : यह सारे क्षेत्र की मुसाफरी करके अभ्यास करता है। उमीदवारों की स्थिति व क्षमता की माहिती से अवगत होते है। चुनाव की स्थिति का मूल्यांकन करते है। इसमें पक्ष के मुख्य कार्यकर्ता होते है।
  • रणनीति मोर्चा : चुनाव के वक्त पक्ष की रणनीति बनाते है और कार्यकर्ताओं को मार्गदर्शन देते है। दूसरे मोर्चे के लोग इस मोर्चे को माहिती उपलब्ध करते है, इसलिए यह मुख्य मोर्चा है, जिसमे पक्ष के होददेदार होते है।
  • चुनाव मोर्चा : इसमें बामसेफ के सभ्य होते है। वह चुनाव कार्यालयों की व्यवस्था संभालते है। 
आर के सिंह के इस पुस्तक में ऐसे विविध मोर्चो की जानकारी मिलेगी आपको। यह पढ़कर आपको आश्चर्य भी होगा कि हाल में ऐसा कुछ भी हम बसपा में नही देखते है। मान्यवर के निर्वाण के बाद पक्ष ने मायावती के करिश्मे पे सब छोड़ दिया है। अब पक्ष में नया लहू घूमना शुरू होना चाहिए।

- राजू सोलंकी (16 मई, 2019)

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