June 28, 2018

मुझे भी आफिस के लिए एक आदमी चाहिए.. - मान्यवर साहब कांशीराम

साहब कांशीराम जनजागरण अभियान के तहत भारत के कोने-कोने में डॉ आंबेडकर मूवमेंट को पहुंचा रहे थे.. इस समय BAMCEF का दौर था तथा आम आदमी साहब द्वारा किए गए कार्यों को समझ चुके थे.. इसी दौरान दलित पैंथर के कुछ लोग साहब कांशीराम जी से मिले और दलित पैंथर की योजनाओं के बारे में साहब को बताया और अंत मे कहा कि, "साहब हमें एक आदमी की जरूरत है जो दलित पैंथर के कार्यालय की देख-रेख कर सके और कार्यालय का इंचार्ज बन सके, हम इसके बदले में उसे दो हजार महीना तनख्वाह भी देंगे.."

उनकी इस बात पर साहब बोले कि, "आप लोगों को कार्यालय का कार्यभार संभालने के लिए एक आदमी की जरूरत है, तो आप किसी भी आदमी को लगा सकते हैं.. इसके लिए मेरे पास आने की क्या जरूरत थी!! आपको मैं बताना चाहता हूं, जिस प्रकार आप लोगो को कार्यभार संभालने के लिए एक आदमी की जरूरत है उसी प्रकार मुझे भी कार्यालय के लिए आदमी की जरूरत है, लेकिन बदले में कार्यालय संभालने वाले को दो हजार रूपया नही दूंगा, उल्टा वह आदमी मुझे दो हजार रूपया देगा.. अगर इस तरह का आदमी आप लोगों को नजर आ जाए तो आप उसे मेरे पास भेजना ताकि मैं भी अपना काम जल्दी पूरा कर सकूं.."


इस बात पर दलित पैंथर के लोग अचंभित हुए कि ऐसा आदमी कहां मिलेगा जो कार्यालय को भी देख सके और बदले मे दो हजार रूपये भी दे सके!! ये बात उनके सिर के ऊपर से जा रही थी.. लेकिन साहब के लिए आम बात थी कि लोगों से मूवमेंट के लिए काम भी लिया जाए तथा सहयोग भी लिया जाए.. देखने में आया साहब कांशीराम जी को कार्यालय में काम करने के लिए एक नहीं हजारों कार्यकर्ता मिले जो एक भी पैसा नही लेते तथा बदले में मूवमेंट को चलाने के लिए स्वयं पैसा देते थे.. 

साभार - मां मुझे सेहरा नहीं कफन चाहिए (किताब पढने व् डाऊनलोड करने के लिए उपर किताब के नाम पर क्लिक करे )