आज अगर वर्तमान राजनीती का विश्लेषण किया जाये तो, बहुजन समाज के लोग विभिन्न पार्टियों से जुड़े हुए है, लेकिन उन पार्टियों में वह सिर्फ अनुसूचित जाती-जनजाति मोर्चा तक ही सिमित रह जाते है.. वह लोग बहुजन समाज के लोगो द्वारा दिए गए वोट द्वारा चुने तो जाते है, लेकिन बाद में वह सिर्फ पार्टी के चाकर ही बन कर रह जाते है.. अपने समाज के लोग, उनकी समस्या और उनके प्रश्नों को वह सही तरह से प्रस्तुत करने में व् उनके निराकरण में पुर्णतः असफल दिखाई देते है.. उनकी जवाबदारी व् वफ़ादारी अपने समाज की बजाय पक्ष के प्रति दिखाई देती है.. उन लोगो का इस्तेमाल उनके ही समाज के पक्ष और सच्चे नेता को कमजोर करने के लिए होता है.. इसी बात को मान्यवर साहब कांशीराम ने अपनी किताब चमचायुग में बखूबी दर्शाया है..
साहब कांशीराम लिखते है की, "चमचा एक देसी शब्द है, जिसका प्रयोग उस व्यक्ति के लिए होता है जो अपने आप कुछ नहीं कर सकता बल्कि उससे कुछ करवाने के लिए कसी और की जरूरत होती है.. और वः कोई और व्यक्ति, उस चमचे का इस्तेमाल हमेशा अपने निजी फायदे और भलाई के लिए अथवा अपनी जाती की भलाई के लिए करता है, जो चमचे की जाती के लिए हमेशा अहितकारक होता है." चमचो के लिए साहब कांशीराम ने दलाल, पिट्ठू, औजार जैसे और शब्द भी इस्तेमाल किये है..
चमचो या दलालों की वजह से बहुजन आन्दोलन को बहोत ही गहरी चोट पहुंची है.. जिस आन्दोलन को बहुजन महापुरुषों ने अपने खून पसीने से सीचा, उस आन्दोलन को चमचो ने अपने स्वार्थ के लिए बेच दिया.. और इसी लिए आज हमारे लिए यह बहोत जरुर बन जाता है की, हम सच्चे मिशनरी और चमचो के बिच का फर्क जाने, ताकि हमे चमचो को पहचानने में आसानी हो..
चमचा युग में साहब कांशीराम, असली और नकली मिशनरी के भेद को समजते हुए मान्यवर साहब कांशीराम लिखते है की,
- एक सच्चा कार्यकर्ता आज्ञाकारी होता है, वह जी-हजुरी नहीं करता..
- एक असली कार्यकर्ता अपने नेतृत्व को मजबूत करने के लिए प्रयत्नशील होता है..
- एक सच्चा मिशनरी, लक्ष्य प्राप्त करने के लिए नेतृत्वकर्ता की सहायता करता है..
- नकली कार्यकर्ता का इस्तेमाल, असली व् सच्चे नेतृत्व को कमजोर करने के लिए होता है..
- नकली कार्यकर्ता, अपने आप कार्य नही करता.. उसकी बागडोर दुसरो के हाथ में होती है.. असली मिशनरी अपने नेतृत्वकर्ता से प्रेरित होता है..
- एक सच्चा मिशनरी खुद को बाबासाहब व् अन्य बहुजन महापुरुषों ऋणी मानता है..
- एक सच्चा मिशनरी बहुजन समाज को श्क्षित, जागृत करने के लिए व् उसकी भलाई के लिए कार्यरत रहता है..
- चमचे इसलिए बनाए जाते है ताकि, वास्तविक और सच्चे नेतृत्व का विरोध किया जा शके..
- एक मिशनरी जीवनपर्यंत, अपने सच्चे और वास्तविक नेतृत्व को Time, Tragedy और Talent से सहायक होता है..
- एक असली मिशनरी Single Mind full Devotion से अपने मिशन व् नेतृत्वकर्ता को वफादार रहता है..
साहब कांशीराम की लिखी किताब "चमचायुग" हिंदी में डाऊनलोड करने व् पढने के लिए निचे की लिंक पर क्लिक करे :
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