October 14, 2017

१४ अक्टूबर १९५६ को बौद्ध धम्म दीक्षा समारोह में बाबासाहब का ऐतिहासिक भाषण

आधुनिक भारत के निर्माता, विश्वरत्न बोधिसत्व बाबासाहब डॉ भीमराव आम्बेडकर ने १३ अक्टूबर १९३५ को येवला, नासिक में लाखो लोगो के समक्ष प्रतिज्ञा की थी की, "मैं हिन्दू अछूत के रूप में पैदा हुआ यह मेरे वश की बात नहीं थी, किन्तु मैं हिन्दू अछूत के रूप में मरूँगा नहीं.." और उसी महान प्रतिज्ञा को पूरी करते हुए, १४ अक्टूबर १९५६ को अशोक विजयादसमी के दिन, अपने लाखो अनुयायियो के साथ असमानता, भेदभाव, ऊँचनीच और जातिवाद से ग्रस्त हिन्दू धर्म को त्याग कर प्रेम, मैत्री, दया, करुणा और बंधुता से पूर्ण मानवतावादी बौद्ध धम्म की दीक्षा ग्रहण की.. जो तथागत बुद्ध के बाद सबसे बड़ी धम्मक्रांति थी.. इस अवसर पर उन्होंने एक ऐतिहासिक भाषण दिया था, जिसे पुस्तक के रूप में संगृहीत किया गया है.. उसे पढने के लिए निचे दी गई लिंक पर क्लिक करे, और पूरा भाषण पढ़े..


















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