June 21, 2019

चम्मचे क्यो पैदा किये जाते है?

चम्मचे क्यो पैदा किये जाते है?

जब समाज का सच्चा प्रतनिधि समाज के लिए आवाज उठाता है, तो उस उठ रही आवाज को अपने ही समाज के लोगों द्वारा दबाने के लिए चम्मचे पैदा किये जाते है!

ये चम्मचे सिर्फ टिकट या फिर पद के लालच में अपने को समाज का नेता बनाने की कौशिश करता है! जबकि सच्चा प्रतिनिधि हमेशा परिवर्तन की बात करता है!

चम्मचे हमेशा मौसम (चुनाव के समय)के आधार पर चलता है! जबकि सच्चा प्रतिनिधि लगातार रात दिन समाज के साथ चलता है और समाज को एक जुट करने में लगा रहता है!

चम्मचे हमेशा अचानक उठाकर हीरो बनाऐ जाते है, मीडीया में उसे खूब पब्लिसीटी दी जाती है, जबकि सच्चे लीडरशीप को टीवी न्यूज चैनलों में कभी नही दिखाया जाता!

चम्मचे हमेशा अपने लिये जीता है जबकि सच्चा लीडर समाज को ऊपर उठाने के लिए जीता है!

चम्मचों का मोल भाव तय किया जाता है जहां ज्यादा मुनाफा हो वहां जाना पसंद करता है, जबकि सच्चा लीडर समाज को शासक बनाने के लिए अपना खून पसीना बहाता है!

जब चम्मचों की संख्या अचानक बढने लगेगी, तब सच्चे लीडरशीप को पहचान कर अगर उनका तन मन धन से सहयोग कर दिया तो समझ लेना, दुश्मन का ये वार खाली चला गया है, और हम आजादी के बहुत करीब खड़े हो जाऐंगें!

वर्तमान परिस्थितियाँ यही बयां कर रही है! हमें अपने सच्चे लीडरशीप को पहचानना होगा! सच्चे लीडरशीप को पहचानने के लिए हमारे बहुजन समाज में सामाजिक, राजनीतिक, वैचारिक समझ विकसित करना होगा!

जरूरी नही राजनीतिक समझ सिर्फ नेताओं को ही हो, ये बहुजन समाज के हर इन्सान को होनी चाहिए! अगर हमारे अंदर ये तीनों समझ आ गई तो हम कभी भी किसी नेता विशेष और पार्टी विशेष का भक्त नही बनेगें, बल्कि अपनी बुलंद आवाज से हमारी नीति हम खुद बनाऐगें!

उदाहरण- संसद में हम 130 करोड़ लोग बैछ नही सकते, इसलिए हम सांसद या विधायक चुनवाकर भेजते है! वो हमारे खिलाफ कानून बनाते है, जब उपरोक्त तीनों विषय की हमें समझ होगी तो जनता अपनी संसद सड़कों पर चलाऐगी ओर जनशक्ति के आगे दुनिया की कोई भी शक्ति नही टिकती! जन शक्ति ही अपना कानून आप बनाऐगी!

विदेशों में लोगों को ये तीनों समझ है इसलिए वे जनशक्ति के आगे सरकारों को मजबूर कर देती है! इसके लिए चम्मचों को पहचान कर उनका बायकाट करना होगा!

- सुरेश कुमार नायक 
सन्दर्भ : चमचायुग

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