April 2, 2017

शिक्षा के अभाव में ही शुद्रो-अतिशुद्रो का पतन हुआ..



राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले (जिनको बाबासाहब डॉ भीमराव आम्बेडकर ने अपना गुरु माना था) अपनी सत्यनिष्ठा, कर्तव्य-परायणता, तथा पर दुःख से दुखी हो जाने के कारण ही अपने युग के समस्त समाज सुधारको, विद्वानों, तथा संस्कृति के उपासको की अपेक्षा अधिक प्रतिष्ठित हुए..

किशानो के कष्टों को देखकर ज्योतिबा के ह्रदय में जो अनुभूति हुई, उसे शब्दों में बांधकर युग-युग तक पहोंचने के उदेश्य से कल्टीवेटर्स ह्वीपकोर्ड (किसानो का कोड़ा) नामक पुस्तक सन १८८३ के प्रारंभ में लिखी.. उस पुस्तक की प्रस्तावना के प्रारंभ मे ज्योतिबा ने शिक्षा के महत्त्व को समझाते हुए लिखा की,

शिक्षा के अभाव में बुद्धि का ह्रास हुआ,
बुद्धि के अभाव में नैतिकता की अवनति हुई,
नैतिकता के अभाव में प्रगति अवरुद्ध हो गई,
प्रगति के अभाव में संपत्ति लुप्त हो गई,
संपत्ति के अभाव में शुद्र मिट गए,
सारी विपत्तियों का आविर्भाव निरक्षरता से हुआ..

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